आधुनिकता के इस दौर में आज हमारी सांस्कृतिक अमूल्य धरोहर, पारम्परिक लोक संगीत धीरे-२ लुप्त होता जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं पर आधारित ये श्लोक संगीत मनुष्य को मनोरंजन के साथ-२ जीने की राह भी बताता है। हमारा युवा वर्ग आधुनिकता की छाया से ग्रसित हो रहा है। यदि आज इन युवाओं को अपनी इस सांस्कृतिक अमूल्य धरोहर से अवगत नहीं करवाया गया तो आने वाले समय में इस युवा पीढ़ी को सँभालना व अपने संस्कारों से जोड़े रखना एक गंभीर सामाजिक समस्या होगी।
अतः इस पुस्तक के माध्यम से इन धार्मिक मान्यताओं में जो संगीत है उसे स्वर-बद्ध सुरक्षित रख कर, संगीत जिज्ञासुओं का मार्ग सुलभ हो सके, यही उद्देश्य सामने रख कर प्रकाशित की गई है।
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